मंगलवार, 15 दिसंबर 2015

मुठ्ठी भर असमान

जमाने की भीङ में अपना मुकाम बनाना चाहते हैं,
चाह नही पूरा आसमान पाने की,
मुठ्ठी भर आसमान में ही उङना चाहते है………..!

न दौलत चाहते हैं न शोहरत चाहते हैं,
याद करे जमाना मर कर भी हमें,
ऐसी कर गुजरने की तमन्ना चाहते है,
बस उङना चाहते हैं थोङा गिरना चाहते हैं,
कुछ सीखना और कुछ पाना चाहते है……..!

चाह नही है सारा आसमान पाने की,
बस अपने लिए मुठ्ठी भर आसमान चाहते हैं……..!

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