(बह्र )
(मफ़ऊल फ़ायलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन )
!! ग़ज़ल !!
गुलशन में जैसे फूल कली ताज़गी नहीं !
तेरे बग़ैर ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी नहीं !!
मैं मिल नहीं सका तो ये कैसे समझ लिया !
हमको है तुमसे प्यार नहीं दोस्ती नहीं !!
खुशियां है तेरे दम से ही घर बार में मेरे !
तू खुश नहीं तो पास मेरे भी खुशी नहीं !!
तू क्या गया की रौनके महफ़िल चली गयी !
इन चाँद में सितारों में भी रौशनी नहीं !!
ख़ूनें जिगर से मैंने संवरा है शेर को !
मेरे ग़ज़ल का रंग कोई नहीं !!
मैं खुद गुनहगार हूँ अपनी निगाह में !!
उसके खुलूशो प्यार में कोई कमी नहीं !
तुमसे रज़ा के शेरों में चन्दन सी है महक !
तू जो नहीं ग़ज़ल भी नहीं शायरी नहीं !!
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15-04-13 by shayar salimraza rewa
9981728122
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