बसंत का आगमन हुआ है
सर – सर पुरवा चला है
ये विरान ज़िंदगी में आज
बरसों के बाद हलचल हुआ है
पूनम का चांद निकला है
सरोवर में कमल खिला है
बरसों के बाद तुम मिले हो
ऐसा लगा खुदा मिला है
रंग रूप ताज़ा -ताज़ा है
खुशियों का लहर चला है
मन में इंद्रधनुष सजा है
तन चंदन सा महका है
दिल -उपवन खिल उठा है
फिर तेरी जादू चला है
मन मयूरी झूम उठा है
आँगन में अमृत बरसा है
ज़िंदगी के हर गलियों में
शीतल प्रेम नदी बहा है
बरसों के बाद तुझे पा के
मुझे प्रेम धन मिला है
दिल में मृदंग बजा है
“दुष्यंत” तेरे नाम पुकारा है
तन्हाई का शाम ढला है
ज़िंदगी से ज़िंदगी मिला है
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Dushyant kumar patel
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