सोमवार, 1 फ़रवरी 2016

रूह-ए-बंजर...

भीगती है रूह-ए-बंजर, बस तेरी यादों के साये मे,
ये मुलाकात तो बस, जिस्म की प्यास मिटाती है…

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Acct- इंदर भोले नाथ….

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