मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

कुछ अल्फ़ाज़ लिखू|

सोचता हु कुछ अल्फ़ाज़ लिखू,
अपनी सपनो की की हर बात लिखू ,
जिसे देखा था मैंने सपनो में
उस सपनो की हर वो बात लिखू ।

दूर बादलो से मेरे ख्वाबो में आती थी ,
बहती हवाओ से मुझको आवाज़ वो लगाती थी ,
पास आकर प्यारी सी एक मुस्कान दे जाती थी ,
जाते जाते कानो में कुछ बाते बोल जाती थी ,
उस हसींन मुस्कान की हर बात लिखू ,
सोचता हु कुछ अल्फ़ाज़ लिखू ।

मांगी थी दुआ उसे पाने की ,
उसे अपना बस अपना बनाने की,
उस दुआ की हर वो बात लिखू ,
सोचता हु कुछ अल्फ़ाज़ लिखू ।

नव प्रभात को देखा कोई नज़र नही आया ,
सपना था यह कहकर मै मंद मंद मुस्काया,
सोचा सबके सपने अगर इतनी रंगीन होते ,
तो समस्त मानव जीवन हसीन होते ,
उस हसीं जीवन की हर बात लिखू
सोचता हु कुछ अलफ़ाज़ लिखू ॥

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