सोमवार, 13 अप्रैल 2015

घर

इस घर में
झांककर
देखो जरा
यहाँ
बारिश आती है
भिगोने खुद को
धूप सेंकती है
अपना बदन
नींद हर रोज़
करती है
जागरण
और भूख
ठहर गयी है
तृप्त भाव से
हमेशा के लिए
आखिर
इस घर में
और कोई नहीं
रहता है
एक मजदूर
अपने परिवार
के साथ

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