सरेराह नीलाम हो रही आबरू जब देश में,
  कैसे गाऊँ गीत प्यार के, हालत गंभीर है मेरे  देश में। 
  सरे बाजार जब बम फटते हो, दूध पीते बच्चे कटते हो,
  बह जाती नदियों में लाशें, सिमटी हो नोटों में साँसे,
  मौत विचरण करती रहती, हरदम आदमी के वेश में,
  कैसे  गाऊँ  गीत  प्यार के, हालत गंभीर है मेरे देश में।१। 
  चर जाते गायों का चारा, अफसर नेता मिलके सारा,
  कामयाबी के गली-कूंचो में, सीडी बन बिक जाती अनारा,
  कौन वतन कितना बेचेगा, हौड़ होती राजनीति की रेस में,
  कैसे  गाऊँ  गीत  प्यार के, हालत गंभीर है मेरे देश में।२। 
  आतंकी सायों में जीते, साल ना जाने कितने बीते,
  लाल किले को लाल कर गए, संसद में सैनिक पाँच मर गए,
  नहीं सुरक्षित रहे अब तो, रामलला भी इस देश में,
  कैसे  गाऊँ  गीत  प्यार के, हालत गंभीर है मेरे देश में।३। 
  राह चलती लड़कियों पर, यहाँ तेजाब फेंक दिया जाता है,
  पुष्कर से पावन तीर्थों पर, नंगा नाच हो जाता है,
  कुचल आदमी कारों नीचे, बच जाते सल्लू मियां इस देश में,
  कैसे  गाऊँ  गीत  प्यार के, हालत गंभीर है मेरे देश में।४। 
  फिल्मी परदे वाली परियाँ, वस्त्र त्यागती जाती है,
  कभी किसी धर्मगुरु से, सीता लांछित हो जाती है,
  सावरकर से बलिदानी को, गुंडा कहा जाता इस देश में,
  कैसे  गाऊँ  गीत  प्यार के, हालत गंभीर है मेरे देश में।५। 
  राजनीति में राज हो गया, गुंडो और मवाली का,
  ना रहा मोल राखी का, ना रहा सिंदूर की लाली का,
  दब जाते मंगलसूत्र यहाँ पर, तलाक कानूनी आदेश में,
  कैसे  गाऊँ  गीत  प्यार के, हालत गंभीर है मेरे देश में।६। 
  तंदूरों में जगह रोटी की, बेटियाँ सिक जाती है,
  फैसन की माया नगरी में, आबरू बिक जाती है,
  पैसे की खातिर बिक जाती, नारियां अब देश में,
  कैसे  गाऊँ  गीत  प्यार के, हालत गंभीर है मेरे देश में।७। 
  जी चाहता है आग लगा दूँ, इस भ्रष्टाचारी व्यवस्था में,
  देश जा रहा देखो मेरा, सांस्कृतिक गुलामी अवस्था में,
  कैसे बचेगा कौन बचाये, गंगा को भी रोक दिया जिस देश में,
  कैसे  गाऊँ  गीत  प्यार के, हालत गंभीर है मेरे देश में।८। 
  –	मनोज चारण (गाडण) "कुमार" कृत
  mo. 9414582964
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हालत गंभीर है मेरे देश में