मंगलवार, 16 जून 2015

।गजल।प्यार किया करता था।

।।प्यार किया करता था ।।

दर बदर तेरा दीदार किया करता था ।।
कुछ भी हो तुमसे मैं प्यार किया करता था ।।

हर रोज वादा करके तुम कभी नही आये ।।
ये जानकर भी तेरा इंतजार किया करता था ।।

तुम बेफिक्र थे इसकी परवाह न थी मुझको ।।
मैं तो तेरे फ़िक्र में अश्कजार किया करता था ।।

मैं वक्त का था मारा तू वक्त की थी मंजिल । ।
हर वक्त तेरे दर पर गुजार दिया करता था ।।

जब तेरे मिलने के भी आसार खत्म होने थे ।।
टूट गया दिल पर बेकरार हुआ करता था ।।

अब तो तेरे जलवे का गुजरा जमाना हो गया ।।
पर आज भी तुम पर कोई ऐतबार किया करता था।

R.K.M

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here ।गजल।प्यार किया करता था।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें