इच्छाओं  के लग गए पंख
  अब भरे वो ऊँची उड़ान l
  इसे पूरी करने की चाहत में
  प्राणी रहने लगा परेशान ll
ये है तेरा, ये है मेरा
  सब कुछ यहीं रह जायेंगा l
  इच्छाएं वश में कर ले प्राणी
  मन का सुख मिल  जायेंगा  ll
इच्छाओं का कोई अंत नहीं
  सबको सब नहीं मिल पाता l
  जितना प्रभु प्यार से दे दें
  उसी में सच्चा सुख मिल पाता ll
इच्छा बरगद के  वृक्ष की भाति
  जो चहुँ ओर फैलती जाये l
  ऐसी इच्छा करो रे प्राणी
  जो दूजे को भी  सुख पहुचाये ll
इच्छा करना कोई बुरा नहीं
  इच्छा मनुष्य को महान बनाये l
  बस उतनी इच्छा करो रे प्राणी
  जिससे दूजा आहात न हो पाये ll

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