गुरुवार, 18 जून 2015

इच्छाएं

इच्छाओं के लग गए पंख
अब भरे वो ऊँची उड़ान l
इसे पूरी करने की चाहत में
प्राणी रहने लगा परेशान ll

ये है तेरा, ये है मेरा
सब कुछ यहीं रह जायेंगा l
इच्छाएं वश में कर ले प्राणी
मन का सुख मिल जायेंगा ll

इच्छाओं का कोई अंत नहीं
सबको सब नहीं मिल पाता l
जितना प्रभु प्यार से दे दें
उसी में सच्चा सुख मिल पाता ll

इच्छा बरगद के वृक्ष की भाति
जो चहुँ ओर फैलती जाये l
ऐसी इच्छा करो रे प्राणी
जो दूजे को भी सुख पहुचाये ll

इच्छा करना कोई बुरा नहीं
इच्छा मनुष्य को महान बनाये l
बस उतनी इच्छा करो रे प्राणी
जिससे दूजा आहात न हो पाये ll

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