सोमवार, 15 जून 2015

हवा कि सत्कार

अगर अपनों ने छोङ दिया तो,
अगर रिश्तों ने तोङ दिया तो,
कैसे खिलेंगीं पेडों में नई पत्तियाँ,
अगर हवा ने भी मुँह मोङ दिया तो??

अगर लहरों ने खुद को जोड़ लिया तो,
अगर चादर ने हवा को जकड लिया तो,
फिर कैसे आयेंगे सुनहरे सपने धुप के,
अगर सागर ने भी मुहँ मोड लिया तो????

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