रविवार, 28 जून 2015

लङ्की है तु

लङकी है तु पाप नही
जन्म लेन तेरा कोइ अभिशाप नही,

तु क्यो अपने को हिन समझे
अपने आप को छिन समझे
तुझ से है यह सन्सार
लङकी है तु पाप नही
जन्म लेना तेरा कोइ अभिशाप नही

तु सभी रिस्तो का जङ है
फिर तुझे क्या डर है
तु ही प्रिया तु ही पत्नी
तु बहन है तु ही जननी
लङकी है तु पाप नही
जन्म लेना तेरा कोइ अभिशाप नही

तु वट वृक्ष के समान है
तु बहुत महान है
तु ही पर्व त्योहर है
तुझ बिन यह जगत श्मशान के समान है
लङकी है तु पाप नही
जन्म लेन तेर कोइ अभिशाप नही

नर हो या इन्द्र लङकी के बिना सब छिन
लङकी और लकङी से मानवता का जीवन मरन का साथ है
तुझ बिन मानव का जीवन अभिशाप है
लङकी है तु पाप नही
जन्म लेना तेरा कोइ अभिशाप नही/

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