सोमवार, 15 जून 2015

कल की रात ....

    1. क्या बताऊँ तुमको,
      हुआ गज़ब बड़ा कल मेरे साथ !
      लफ्जो में बयान न हो,
      कल जो गुजरी रात उनके साथ !!

      थे दोनों संग संग में,
      फिर भी न हुई उनसे कोई बात !
      जाने कैसा जुल्म हुआ,
      औ रामा कल की रात मेरे साथ !!

      जागे जागे सोये थे ,
      अपने बिस्तर पे दोनों कल रात !
      अरमानो का तूफ़ान,
      दबाये करवटे बदलते रहे साथ-साथ !!

      दबी दबी सी थी साँसे,
      कुछ उलझे सवालो की पोटली के साथ !
      जाने कब गुजर गयी
      कल रात सिर्फ दूजे की यादो के साथ !!

      मुहँ ढापकर पड़े रहे,
      दोनों, अपनी खुली हुई आँखों के साथ !
      खूब हुई आँख मिचोली,
      जागकर रातभर सोते हुए नींद के साथ !!

      क्या बताऊ तुमको,
      हुआ गज़ब बड़ा कल मेरे साथ !
      लफ्जो में बयान न हो,
      कल जो गुजरी रात उनके साथ !!

      Share Button
      Read Complete Poem/Kavya Here कल की रात ....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें