तिनके-तिनके को जोड़ के
  आशियाना बनाया जाता हैl
  प्रेम प्यार का रंग चढ़ाकर
  इसे खूब सजाया जाता है ll
रिश्तों की मजबूत नींव पर
  ये आशियाना टीका रहता है l
  इसके तिनके-तिनके को भी
  विश्वास का सहारा रहता है ll
दर-दर भटकता रहता है इंसान
  इस आशियाने की तलाश में l
  उससे पूछो इसकी कीमत, जो
  बिताता है रात, खुले आसमान में ll
हर किसी का रहता है एक सपना l
  की आशियाना हो उसका अपना ll
  कब उसके ये सपने पूरे हो पाएंगे l
  या ये सपने यूँ ही बिखर जायेंगे लल
यहीं प्रार्थना करता हूँ……………….
ईश्वर कुछ ऐसा जादू दिखाना l
  बन जाये सबका अपना आशियाना ll
  जिस दिन सबके सर पर छत होगी l
  यकीं मनो उस दिन मेरी इच्छा पूरी होंगी ll

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