यह लम्हे,
  कब यादे,
  बनती है,
  न पता हमे।
कुछ ऐसा जो,
  हमे मिलता हो,
  इनसे है वो,
  सारे दर्द।
खुश हो या हो,
  घम की दरिया,
  इनसे है जुडी,
  ये कहानीया।
जुदाई का जो,
  है ये पल, हा,
  मिलती है उससे,
  तनहाईया।
कुछ भी सोचो,
  कुछ भी चाहो,
  इनसे सारा,
  घम लुटा लो।
ये दर्द है,
  बहुत भारी,
  तन्हा बैठे हो,
  मिले न सहारा कोई।
ये समा है,
  कुछ अनोखा,
  हर तरफ मिले,
  सिर्फ धोखा।
कबसे किस्मत,
  है लापरवाह,
  मगर हर दर्द की,
  है एक दवा।
दुआए मान्गो,
  खुशीया बाटो,
  बन जाओ तुम,
  सुख का सागर।
घम तो ऐसे मिटता नही,
  तुमसे मिली है ये दुहाई,
  अगर मै चाहू खुशी छोटी,
  मिलती है तुझसे घम की नदी।
जुदाईया…. है हर दर्द का कारण,
  दुख होता है,
  जब मिले इसका एक उदाहरण।

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