सोमवार, 15 जून 2015

युवाशक्ति

!!युवाशक्ति!!

युवाशक्ति है युग निर्माता
युवाशक्ति के द्योतक हम
हमसे छल करने की कोशिश
हाथ में एटम बम के सम
अगर किया छल कभी किसी ने
हमने उसका नाश किया
अंग विहीन बनाकर उसको
श्वान मृत्यु प्रदान किया

कुछ सज्जन हम युवाजनों से
छल करने में व्यस्त अभी
ऐसे इन सब ठग लोगों की
आयु न लंबी अब होगी
ऐसे इन सब ठगी जनों को
उल्टा करके टागेंगे
तडपा देंगें इनको इतना
मौत की भिक्षा मांगेंगे

युवाशक्ति को क्षीण समझना
भूल बड़ी सबसे होगी
भूल समझ आएगी जबतक
सम्मुख मृत्यु खड़ी होगी
नहीं युवा भयभीत मृत्यु से
मृत्यु उन्हें क्या मारेगी
युवा रक्त की बूंद गिरी तो
मृत्यु उसी क्षण हारेगी

बीत गया युग गाँधी जी का
हे सुबास न मौन रहो
दुर्योधन की जंघाओं पर
भीम गदा से चोट करो
हो प्रहार भीषण इतना कि
एक वार में मृत्यु मिले
रहे न जीवित क्षणिक मात्र भर
चूर्ण मृत्तिका से जा मिले

लाल मृत्तिका को समेट कर
यज्ञकुंड में दहन करो
यज्ञ धूम्र से विचलित कर तब
मशक जनों को मूर्क्षा दो
मूर्क्षित उन सब मशक मानवों को
पहले तुम एकत्र करो
तब खोलो शिव नेत्र तीसरा
नया धूम्र उत्पन्न करो

जब अर्जुन रूपी सब युवजन
युगल हस्त गांडीव धरेंगे
कुछ शकुनी भी सर्प रूप में
तिमिर गरल तब उगलेंगे
ठीक उसी क्षण तिमिर चीर कर
निकलेगी तब शिव ज्वाला
क्षणिक मात्र में भष्म करेगी
सारा विष सारी हाला

विश्वपटल पर कोई डायर
जब भी शीश उठाएगा,
क्रोधित हो तब एक युवामन
भगत सिंह बन जायेगा;
जो सुसुप्त इन ज्वालामुखियों में
ज्वाला भड़काएगा,
शंखनाद जब युवा करेगा
इन्द्रासन हिल जायेगा।

– वैभव शुक्ल ‘ क्षितिज’

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