हम  दिल  की  बाते  सारी  कैसे  वया करे ।
  तुम गैर  पे हो   फ़िदा चुप   कैसे  रहा करे ।
तेरी   तलब  तो  दिल में  लड़कपन  से है ।
  पर दोस्तों से  झूठी  प्यार  कैसे जल्फा कर  ।
अजनबी  बन रहते है  तुम्हारे  दिल के पास ।
  हमदर्द मेरे बताओ तुमबिन कैसे  गुजारा करे ।
तुम न समझ लो बच्चो  की  कठपुतली मुझे ।
  तेरी हर नादानियाँ को  हम कैसे अनदेखा  करे ।
तुमबिन ज़िन्दगी  मेरी रेगिस्तान सी लगती  है ।
  तन्हाई  की  धुप  से सनम  कैसे  बचा  करे ।
सब   लूट के   कहती  हो  भूल  जाओ मुझे ।
  दिल  मानता  नहीं   गैर  पे  कैसे मरा  करे ।
पत्थर   न  बन जाना  देना  जवाब खत की ।
  ऐसे  ही तुम्हे रानी  बनाकर  कैसे  रखा  करे ।
“दुष्यंत पटेल”
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