मंगलवार, 16 जून 2015

तेरी मेरी कहानी....

    1. तेरी मेरी कहानी……

      परिचित हो बने अपरिचित,
      एक दूजे से हम अज्ञानी है,
      जैसे तू टपकता पुष्प मधु,
      मै आँखों से बरसता पानी,
      ये कैसी तेरी मेरी कहानी है !!

      एक बाग़ के हम रसिक,
      फिर भी पहचान अंजानी,
      तू भंवरा सा डोले फूल – फूल
      मै भटकूँ बन तितलियों की रानी
      ये कैसी तेरी मेरी कहानी है !!

      उपवन के हम संग साथी,
      एक दरख़्त के हम प्रवासी,
      तेरे कांटो के घाल मेल में
      खिली मै सुर्ख गुलाब की डाली
      ये कैसी तेरी मेरी कहानी है !!

      तू उस पार, मै इस पार,
      मध्य बहती शीतल जलधार
      बन नदी के दो अछूत किनारे
      फ़ासलों संग चलती अपनी गाडी
      ये कैसी तेरी मेरी कहानी है !!

      तू दिनकर श्वेत रूप में,
      मैं काली घनघोर निशा,
      करते पीछा, सरपट दौड़ रही ,
      मिलन की आस में जिंदगानी
      ये कैसी तेरी मेरी कहानी है !!
      !
      !
      !
      डी. के निवातियाँ ______@@@

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