शुक्रवार, 26 जून 2015

दुनिया की नजर............ ( जिंदगी पर कविता )

    1. फर्क देखिये दुनिया की नजर का
      किस किस नज्ररिये से देखते लोग !
      गरीब के घर हंस को बगुला कहे
      अमीर के कौवे को हंस बताते लोग !!

      गरीबी न ढक सके तन को
      ये उसकी मज़बूरी बताते लोग !
      अमीर जब घूमे अर्धनग्न
      सब देख हर्ष से फैशन बताते लोग !!

      आम आदमी जंगल में खाए
      यह उसकी दिनचर्या बताते लोग !
      अमीर अगर करे वही काम,
      उसे पिकनिक कहकर बुलाते लोग !!

      गरीब जब फूल पत्तिया खाए,
      दुनिया में उसे जंगली बताते लोग !
      अमीर दोहराता जब उसको,
      विलायती सलाद का नाम देते लोग !!

      साधारण जन की चुप्पी को,
      यहां पागलपन कह बुलाते लोग !
      दौलत वालो की ये आदत,
      शालीनता की पहचान जताते लोग !!
      !
      !
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      डी. के. निवातियाँ ________@@@

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