गुरुवार, 25 जून 2015

झूमके ये घटा कभी बरसती न थी............

    1. जरूर आज उसने भीगी जुल्फों को झटका होगा,
      वरना ऐसे तो झूमके ये घटा कभी बरसती न थी !

      जरू किसी मतवाले बादल को मस्ती छायी होगी
      ऐसे तो मनमयूरी नाचने को कभी तरसती न थी !

      शायद बरसात की भीगी रातो में याद आई होगी,
      अब से पहले कभी रात इतनी काली होती न थी !

      रो रोकर गिरे अश्को से उसके बर्फ कुछ जमी होगी,
      पहले तो बारिश में ऐसी ओलावृष्टि बिखरती न थी !

      चुभती होगी उसके बदन बारिश की बूँद तन्हाई में,
      पहले भी होती बारिश हर साल ऐसे अखरती न थी !
      !
      !
      !
      डी. के निवातियाँ _________@@@

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