शुक्रवार, 12 जून 2015

पिता हमारे

आसमान में लाखों सितारे
कैसे ढूंढें पिता हमारे …..
कभी नहीं दिखती है सूरत
कहीं नहीं मिलती है मूरत
रवि शशि उड़गण को निहारें
कैसे ढूंढें पिता हमारे …..
सारा यश वैभव है उनका
अपने खून से जिसने सींचा
हमपे अपना जीवन हारे
कैसे ढूंढें पिता हमारे …..
नील नभ के उस प्रांगन में
नैन छलक जाते सावन में
स्नेह से भीगी यादें पुकारे
कैसे ढूंढें पिता हमारे ……
उनको निज उर में ही पाते
आशीष उनकी शक्ति देते
वही थे प्रेरणा वही सहारे
कैसे ढूंढें पिता हमारे ….

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