बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

मई 24 – तंज

मैं रोया हूँ सहमकर ,
कि वो न रोये .
दिल के गुबार में ,
है एक तंज ,
जो —
आँखों को ,
खुलकर बरसने नहीं देता .

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