भ्रमांड में अनेको ग्रह और तारे ,
  विचरण करते मारे मारे ,
  पर जीवन ना सजा पाये,
  मिल कर भी ये सब बेचारे,
  यह सौभागय केवल ,
  हमारी पृथ्वी ने पा कर,
  हमें सौभाग्यशाली बनाया |
प्रकृति ने चित्रकार की भांति,
  रंग भर इसे सजाया,
  शिल्पकार की भांति घड़ ,
  रमणीय बनाया,
  जल भर ऋतू चक्र बनाकर,
  विविध वनस्पतिओं व ,
  जीवों ने जीवन पाया ,
  जीवों मे निकला इक,
  ऐसा जीव ,
  जिसकी बुद्धि के आगे सब निर्जीव,
  उसने ऐसा खेल रचाया ,
  काया पलट दी  धरती की ,
  जल, थल , नभ जीत ,
  सर्वोच्च होने का गौरव पाया |
सफलता अहंकार की जननी है ,
  अहंकार पतन का दाता,
  मानव नमक इस प्राणी ने ,
  प्रगति की नाम पर किया विनाश,
  लुप्त हो गए अनेको जीव ,
  दूषित हो गई धरती ,जल और आकाश,
  बढ़ने लगा तापमान ,
  मौसम न रहा पहले समान,
  कही सुखा, कही वर्षा आपार ,
  बिगड़ गये जीवन आधार ,
  जंगल कटे, आये कंक्रीट जंगल ,
  अब कैसे हो प्राणी तेरा मंगल,
  बना डाले विभिन परमाणु हथियार ,
  चल जाएँ , लुप्त हो जीवन,
  फैल जाये अंधकार |
अब तो प्राणी होश मे आ ,
  जनसँख्या पर नियंत्रण पा,
  देर बहुत हो चुकी,
  उम्मीद अभी बाकि है ,
  रोक दे विनाश का  प्रकरण ,
  बचा ले धरती का पर्यावरण | 

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