सवेरा –
  अँधेरी रात थी, घाना कोहरा था
  लौ जल रही थी, कि अचानक
  आया तूफ़ान, फिर हुआ सवेरा
  बहार आकर देखा, सूरज जल रहा था..
कहा-सुनी –
  उसने कहा, मैंने नहीं सुना
  उसने बार बार कहा, मैंने फिर भी नहीं सुना
  वो कहता गया, मैं नहीं सुनता रहा
  उसका नशा उतर गया, उसने बोलना बंद कर दिया..
बात –
  एक बात जो और बातों से बिलकुल मेल नहीं खाती
  वो सबसे अलग रहती है, एक कोने में
  न कुछ कहती है, ना ही सुनती है
  लेकिन जब से तुम आये हो, वो बात अब दिखाई नहीं देती.. 
दौलत –
  वो हारकर बैठा ही था तभी दरवाज़ा खटका
  देखा एक और हार बर्बादी लिए आई है
  वो अंदर आया, खोला टूटा हुआ पुराना बक्सा
  निकली कुछ उम्मीदें – वो काफी दौलतमंद था..
उम्मीद –
  रात का समय था, खाली आसमान था
  एक आदमी आसमान की ओर जोरों से चिल्ला रहा था
  – मुझे तुमसे मिलना है, मुझे तुमसे मिलना है
  मैं पास गया उसके कंधे पर हाथ रखा
  उसने कहा – मुझे तुम्हीं से मिलना है.. 

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