निकले थे लेकर अरमानो का पिटारा जीवन के सफर पे
  खट्टे मीठे अनुभवों ने खुशियो की झोली खाली कर दी !
  भटकते रहे दर – बदर  होकर वक़्त के रथ पे सवार
  खो गयी मंजिल तो कश्ती लहरो के हवाले कर दी !
  जब मिला न कोई दर्द बाटने वाला हमसफ़र हमे राह में
  लेकर सहारा तिनको का जिंदगी तूफ़ानो के हवाले कर दी !
  हर एक रंज -ओ-गम को रखते रहे समेत कर पहलू में
  हृदय की गाथा आंसुओ की स्याही से कागजो पे लिख दी !!
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  ०___डी. के. निवातियां___० 

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