शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

गुलजार से तुम

अंधेरी रात में पूरे चाँद से तुम
ठिठुरती रात में मधम आग से तुम
अधजगी रात में पूरे नींद से तुम
घुप अंधेरे में एक चिराग से तुम
बन्द घर में खुल जाते खिड़की से तुम
ज्यादा मेरे लिए थोड़े अपने लिए तुम
नितान्त तन्हा मन में गुलजार से तुम

सविता वर्मा

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