गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

ऐ सितमगर ||ग़ज़ल||

तुमबिन ज़िंदगी का हर ख्वाब अधूरा है |
दुनिया में एक तू ही सहारा है |

ऐ सितमगर , तू न कर इतना सितम,
तड़पते दिल ने तुम्हें पल-पल पुकारा है |

जी सके न मर सके तुमसे बिछड़ के ,
तेरी तस्वीर देख-देख हर रात गुजारा है|

खुदा जाने क्या बात है आज भी ,
तुमसे मिलने का ईरादा क्यों हमारा है |

जाने क्यों समझने लगे है लोग मुझे पागल ,
और कहने लगे है तू आशिक आवारा है |

dushyant kumar patel

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