ऐ मेरे वतन ,
  निभा दिया वो हर फ़र्ज़ ,
  जिसके लिए मैं आया था ,
  छोड़ दिया उस माँ का दामन ,
  जिसकी मैं दुनिया था ,
  वो पिता जिसका एक ही सहारा था ,
  मेरे जिगरा दी यारी ,अधूरी रह गयी मेरे बिन ,
  मेरा सनम जिसका इंतज़ार कभी खत्म ना होने वाला था ,
  आँखे बंद करके बहुत सुकून  मिला ,
  जब लिपटा था , तिरंगे की उस शान से ,
  पर जब माँ सीने पर सर रख्कर रो रही थी ,
  बहुत बेबस हो गया था ,
  कैसे समजाता माँ , तेरा लाल तो अपने वतन पर शहीद हो गया ,
  लेकिन सदैव ज़िंदा रहेगा वो ,अमर ज्योति बनकर …….
मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016
भूल ना जाना इस सहादत को..............
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें