गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

नादान हूँ .......

प्यार तुम्हारा उसे मुबारक
जिसके लिए रखा संभाल के !
कुछ पल अर्पण कर दो तुम
हमारे लिए स्नेह भरे दुलार के !!

नजरे इनायत करो न करो
बस इतना हम पर कर्म कर दो !
रख कर सर अपने पहलू में
अपने आँचल की छाँव कर दो !!

इरादे अपने सर्वथा नेक है
गलत समझकर भर्मित न हो !
सुकून के पल कुछ ढूंढते है
दिल बहले नजर गुस्ताख़ न हो !!

जानना चाहो तो दिल से पूछ लो
तुम्हारी ह्या का कितना कद्रदान हूँ !
कर देना माफ़ अगर शरारत हो
तुम्हारी रिआयत में हो गया नादान हूँ !!

ये इल्तिजा, ये गुजारिश है
हमारी भावनाओ को दिल से पढ़ना !
करना अपने ह्रदय में अंतर्द्वंद
फिर किसी फैसले पर तुम आगे बढ़ना !!

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………डी. के. निवातिया…..

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