शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

भारत को श्रेष्ठ बनाना है

कण कण जिसका क़र्ज़ है हमपर, उस माटी का क़र्ज़ चुकाना है .
एक सोच है एक लक्ष्य, भारत को श्रेष्ठ बनाना है

हब्शी भेड़ियों की लार टपकती
उस अग्नि में लाज सिसकती
उस सिसकी की करूँ क्रंदना
निर्वस्त्र हो गयी मानव वेदना
उस दानव के पंजो से दामिनी का दमन बचाना है
एक सोच है एक लक्ष्य, भारत को श्रेष्ठ बनाना है

बिन विद्या वो है अपंग
सहमत नहीं कोई चलने को संग
नेत्रों से बहे जब अविरल धारा
कलम बनेगी उसका सहारा
विद्या का द्वीप जलाना है तो हर बेटी को पढ़ाना है
एक सोच है एक लक्ष्य, भारत को श्रेष्ठ बनाना है

कट्टरता है देश का दुश्मन
उसके चपेट में युवा मन
अपने लोभ में विवश कुछ नेता
एक को अनेक क्यों कर देता
तिरंगे का रंग बचाना है तो आपस की दुरी मिटाना है
एक सोच है एक लक्ष्य, भारत को श्रेष्ठ बनाना है

प्रेम स्वभाव है प्रकृति अपनी
मेल भाव है संस्कृति अपनी
कई धर्म है, कई जात है, कई राज्य कई भाषा
सर्व हितानी सर्व सुखानी है , है यह परम अभिलाषा
अनेकता में एकता सार्थक करना है तो, भारतीयता ही पहचान बनाना है
एक सोच है एक लक्ष्य, भारत को श्रेष्ठ बनाना है

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