आँखों से छलक दर्द,
  जब रुक्सारों से बह गया,
  इक रिश्ता बरसों पुराना,
  टूट कर बिखर गया |
क्या वो रिश्ते में बिताये साल,
  फिर से लौट आएंगे?
  संग जिए सभी एहसास,
  सभी जज़्बात क्या हम फिर से जी पायेंगे?
  मुहोब्बत मे कहे अल्फ़ाज़,
  क्या किसी और से कह पायेंगे?
  मुहोब्बत सिर्फ इक एहसास नहीं,
  जीने का सलीका है,
  मुकम्मल नहीं ज़िंदगी जिसमे,
  प्यार न हो,
  जुदा  हुए तुमसे तो फिर से ,
  अधूरे हो जायेंगे |
बेवफाई का जिक्र, हम किसी से न करेंगे ,
  पर चेहरा हाले दिल बयां करेगा तो हम कुछ न कर पायेंगे,
  जिक्र जब भी तुम्हारा होगा कहीं,
  बहने को बेसब्र, पलकों पे टिके आसूं,
  सैलाब बन, बह जायेंगे वही |

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