रविवार, 19 अप्रैल 2015

चमचागीरी -18

देश के हर कोने से एक ही आवाज़ आयी है;
देश के सब चमचे भाई-भाई है.

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here चमचागीरी -18

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें