देवता जहां धरा उतरकर
  माखन गलियों में खाते है
  चरण पखारे दोस्ती में
  नारी की लाज बचाते है 
श्रद्धा को जताने हनुमत
  सीना चीर दिखाते है
  साईं और पीर फ़कीर
  झोली जहाँ भर जाते है 
सत्य की खातिर जहाँ
  हरिश्चंद्र बिक जाते हों
  और स्वाभिमानी राणा
  घास की रोटी खाते हों
भामाशाह और कर्ण देखो
  जो देते सर्वस्व दान को
  युद्ध भी नीति पर चलते
  प्रभु आतुर गीता ज्ञान को 
विवेकानन्द से हुए द्रष्टा
  चाणक्य का नीतिज्ञान यहां
  सिकंदर और लंकेश का भी
  टूटा था अभिमान जहां 
लक्ष्मीबाई औरत होकर
  रण में जौहर दिखाती है
  पन्नाधाय सी कुर्बानी
  बच्चे की भेंट चढ़ाती है
गुरुगोविन्द से बाँकुरे संत
  योद्धा राजा रणजीत से
  शिवाजी से कुशल लड़ाके
  तानसेन पंडित संगीत के 
बोस बहादुर से नेता
  मौलाना ,गांधी, गफ्फार से
  भगत, आज़ाद से हुए बेटे
  टैगोर पटेल सरदार से 
आकर तो देखो देश मेरे
  जहा स्वर्ग से गंगा उतरती है
  केसर की लहराती है क्यारी
  पत्थर में ज्वाला जलती है 
हिन्दू चढ़ाते है जहाँ चददर
  मुस्लिम होली गाते है
  वैसुदेव कुतुम्भकम् कहने वाले
  अतिथि को देव बताते हैं 
कोयला ,खनिज, मसाले देता
  और चंदन इस संसार को
  बनारसी मिलती जहाँ साडी
  केले ,गेहूं व्यापार को
योग दिया दुनिया को
  मंगलग्रह का मान यहाँ
  योगी भी यहाँ साधक भी
  सब संस्कृतियों का सम्मान यहाँ
हे अहिंसा के साधक
  तुझे मेरा शत शत नमन
  तेरी ही भूमि पर आऊँ
  लूँ मै जब जब भी जन्म       

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