सोमवार, 20 अप्रैल 2015

लूँ मै जब जब भी जन्म

देवता जहां धरा उतरकर
माखन गलियों में खाते है
चरण पखारे दोस्ती में
नारी की लाज बचाते है

श्रद्धा को जताने हनुमत
सीना चीर दिखाते है
साईं और पीर फ़कीर
झोली जहाँ भर जाते है

सत्य की खातिर जहाँ
हरिश्चंद्र बिक जाते हों
और स्वाभिमानी राणा
घास की रोटी खाते हों

भामाशाह और कर्ण देखो
जो देते सर्वस्व दान को
युद्ध भी नीति पर चलते
प्रभु आतुर गीता ज्ञान को

विवेकानन्द से हुए द्रष्टा
चाणक्य का नीतिज्ञान यहां
सिकंदर और लंकेश का भी
टूटा था अभिमान जहां

लक्ष्मीबाई औरत होकर
रण में जौहर दिखाती है
पन्नाधाय सी कुर्बानी
बच्चे की भेंट चढ़ाती है

गुरुगोविन्द से बाँकुरे संत
योद्धा राजा रणजीत से
शिवाजी से कुशल लड़ाके
तानसेन पंडित संगीत के

बोस बहादुर से नेता
मौलाना ,गांधी, गफ्फार से
भगत, आज़ाद से हुए बेटे
टैगोर पटेल सरदार से

आकर तो देखो देश मेरे
जहा स्वर्ग से गंगा उतरती है
केसर की लहराती है क्यारी
पत्थर में ज्वाला जलती है

हिन्दू चढ़ाते है जहाँ चददर
मुस्लिम होली गाते है
वैसुदेव कुतुम्भकम् कहने वाले
अतिथि को देव बताते हैं

कोयला ,खनिज, मसाले देता
और चंदन इस संसार को
बनारसी मिलती जहाँ साडी
केले ,गेहूं व्यापार को

योग दिया दुनिया को
मंगलग्रह का मान यहाँ
योगी भी यहाँ साधक भी
सब संस्कृतियों का सम्मान यहाँ

हे अहिंसा के साधक
तुझे मेरा शत शत नमन
तेरी ही भूमि पर आऊँ
लूँ मै जब जब भी जन्म

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