सोमवार, 20 अप्रैल 2015

एक दिन

एक दिन
एक शाम-
बैठी आँखें मूंदे ,
ख्याल दौड़ गए
बीते वक़्त में,
सोचने लगी
क्या खोया, और पाया क्या मैने.
कौन रह गया,
चला कौन गया,
जिंदगी से,
आए कई दोस्त ख़यालों में,
कुछ स्कूल के,
कुछ कॉलेज के,
कुछ नए माहौल के.
साथ सभी का था,
कुछ समय के लिए,
पर कुछ रह गए साथ में,
थी कुछ मीठी यादें,
यादें थी कुछ दर्द भरी,
आँखे भर आई
उन यादों में जा कर,
सोचा नहीं उस वक़्त,
यूँ आँखों को भिगो जाएँगी,
ये यादें |

बी.शिवानी

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