अ बसंती पवन, अ महकते मधुबन,
  अ घनघोर घन, अ गुमनाम गगन।
  सुलझा दे मेरी ये उलझन,
  मिटा दे दिल मेँ जगी तङपन॥
  अ गुस्ताख मन, अ बेताब धङकन,
  अ साँस के वहन, अ तरसते नयन।
  मत बढ़ा मेरा पागलपन,
  मिटा दे मेरे ख्याल-ए-ज़हन॥
  अ भादोँ अ सावन, अ वक्त के चलन,
  अ गिरे चिलमन, अ धधकती अगन।
  बढ़ा दे सनम की मेरी ओर झुकन,
  ताकि होना पड़े उन्हेँ मेरा मज़बूरन॥

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