क्यों पहेलियों की तरह घुमा रही है
ऐ मेरी ज़िन्दगी
क्यों दर्द देकर मुस्कुरा रही है
ऐ मेरी ज़िन्दगी
सही रह चलने से क्यों भटका रही है
ऐ मेरी ज़िन्दगी
क्यों पथ-पथ पर परीछा ले रही है
ऐ मेरी ज़िन्दगी
क्यों अच्छे खासे इंसान को
हैवान बना रही है
ऐ मेरी ज़िन्दगी
"शरद भारद्वाज"
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