रविवार, 26 अप्रैल 2015

जीवन-साथी

मेरे जीवन साथी
मैं तुम्हें स्वेक्षा से नमन करती हूँ !!
सकुची-सकुची आई थी
घर आँगन में तुम्हारे
लोगों ने बताया था यही है ससुराल
उधड़ेगी की खाल
उठेंगे कई सवाल ?
होगा तुम्हारी हर हरकत पर
बेतहासा बवाल … !!
आएगा भूचाल जो
अपनी जुबान खोलेगी ,
किसी के सामने तो क्या
मजाल है कि
किसी कोने में भी
रो लेगी !!
तुमने बचाया मुझे परपन्चों से
तमाम उलझे प्रश्नों से
मेरे आँसुओं को मिला
तुम्हारा विशाल भुजबंध ..
तोड़कर सब तटबंध
तुमने भरा मुझमें
उड़ने का हौसला ..
मेरे जीवन साथी
मैं तुम्हें स्वेक्षा से
नमन करती हूँ !!

@ भावना तिवारी bhavana tiwari

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