मंगलवार, 28 अप्रैल 2015

सारे जख्म सहून्गा

आई है तू इतने करीब,
बदल दिया है मेरा नसीब।
इतना प्यार तुझे कब हुआ मुझसे,
कि रेह ना पायी एक पल बिन मेरे?

राह देखे तू प्रतिदिन मेरा,
हर शाम, हर सवेरा।
तेरे लिये तो जान हाजिर है,
तेरे लिये आग पर चलू, होकर निर्भय।

सारे जख्म सहून्गा,
तेरा दिल कभी न तोडून्गा।
वादा है मेरा,
सन्ग तेरे हर कदम चलून्गा।

अटूट है ये रिश्ता,
मेरी जिन्दगी मे आई, बनके फरिश्ता।
कोई कमी न थी तेरे आने के बाद,
तेरी बातो को हर पल करता हू याद।

ये जख्म मित जायेन्गे,
ये पल फिर न आयेन्गे।
काश वक्त को यही रोक पाते,
तेरा साथ मेरी जिन्दगी मे खुशी है लाते।

हम एक ऐसे बन्धन मे बन्ध गये,
जहा हर लम्हा एक दूस्ररे की याद मे बीते,
कोई खौफ न रहे किसी का,
सारे जख्मो को मै सहून्गा।

तेरा साथ जरूरी है बस,
किसी भी बात पर न हो बहस,
हम मिलकर बनायेन्गे अपना प्यारा जहान,
जहा हमे मिले आदर और सम्मान।

तेरा साथ काफी है मेरे लिये,
हम हर मुसीबत को झेल लिये,
चाहे जो हो, न होना जुदा,
तेरे सन्ग मै हर पल रहून्गा।

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