ज़िन्दगी का सफर ………
क्यूँ सोचना हमें बीते हुए कल के बारे में दोस्तों ,
  जो कभी लौट के आ सकता ही नहीं |
  क्यूँ रोना अपने बुरी किस्मत के लिए दोस्तों ,
  जिसे हम अपने हाथों से बदल सकते ही नहीं |
ये ज़िन्दगी का सफर यूँ ही काट जायेगा दोस्तों
  हम समय को तो रोक सकते नहीं |
क्यों हम  ढूंढे किसी में बुराइयाँ दोस्तों ,
  बुराइयाँ ढूंढने का हक़ हमलोगों के पास है ही नहीं |
  ढूँढना है तो किसी के अंदर की अच्छाइयाँ ढूंढों दोस्तों ,
  अच्छाई से  बढ़कर इस ज़िन्दगी में कुछ भी नहीं |
ये ज़िन्दगी का सफर यूँ ही काट जायेगा दोस्तों
  हम समय को तो रोक सकते नहीं|
शाम होने पे पंछी भी अपने घोसले को ही आएंगे दोस्तों,
  क्यूंकि उनका कही और कोई बसेरा नहीं |
  फिर हम क्यों ना सही राह चुने दोस्तों ,
  क्योंकि हम  उस गलत राह के राही नहीं |
ये ज़िन्दगी का सफर यूँ ही काट जायेगा दोस्तों
  हम समय को तो रोक सकते नहीं |
माँ-बाप ही हमारे सच्चे दोस्त है दोस्तों ,
  क्योंकि बुरे वक़्त में भी वो साथ छोड़ते नहीं |
  सही वक़्त में तो हर कोई साथ देता है दोस्तों ,
  पर बुरे वक़्त में कोई साथ देता नहीं |
ये ज़िन्दगी का सफर यूँ ही काट जायेगा दोस्तों
  हम समय को तो रोक सकते नहीं |
(अंकिता आशू)
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