शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

ज़िन्दगी का सफर

ज़िन्दगी का सफर ………

क्यूँ सोचना हमें बीते हुए कल के बारे में दोस्तों ,
जो कभी लौट के आ सकता ही नहीं |
क्यूँ रोना अपने बुरी किस्मत के लिए दोस्तों ,
जिसे हम अपने हाथों से बदल सकते ही नहीं |

ये ज़िन्दगी का सफर यूँ ही काट जायेगा दोस्तों
हम समय को तो रोक सकते नहीं |

क्यों हम ढूंढे किसी में बुराइयाँ दोस्तों ,
बुराइयाँ ढूंढने का हक़ हमलोगों के पास है ही नहीं |
ढूँढना है तो किसी के अंदर की अच्छाइयाँ ढूंढों दोस्तों ,
अच्छाई से बढ़कर इस ज़िन्दगी में कुछ भी नहीं |

ये ज़िन्दगी का सफर यूँ ही काट जायेगा दोस्तों
हम समय को तो रोक सकते नहीं|

शाम होने पे पंछी भी अपने घोसले को ही आएंगे दोस्तों,
क्यूंकि उनका कही और कोई बसेरा नहीं |
फिर हम क्यों ना सही राह चुने दोस्तों ,
क्योंकि हम उस गलत राह के राही नहीं |

ये ज़िन्दगी का सफर यूँ ही काट जायेगा दोस्तों
हम समय को तो रोक सकते नहीं |

माँ-बाप ही हमारे सच्चे दोस्त है दोस्तों ,
क्योंकि बुरे वक़्त में भी वो साथ छोड़ते नहीं |
सही वक़्त में तो हर कोई साथ देता है दोस्तों ,
पर बुरे वक़्त में कोई साथ देता नहीं |

ये ज़िन्दगी का सफर यूँ ही काट जायेगा दोस्तों
हम समय को तो रोक सकते नहीं |

(अंकिता आशू)

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