सोमवार, 27 अप्रैल 2015

।।कविता।।दो दिन बाद।।

।।कविता।।दो दिन बाद।।

इस बचपन की नादानी में
खुशियो की किलकारी
छुपी हुई थी कभी हमारी
आज तुम्हारी बारी
यह चंचलता
व्याकुलता में
हो ही जायेगी बर्बाद ।।
आज नही तो दो दिन बाद ।। 1।।

ये जीवन की नयी उड़ाने
खुशियो के प्रलोभन
नाशवान इस आकर्षण में
समय सहित सारा धन
चुक जायेगा
जायेगा रुक
आशाओ का यह उन्माद ।।
आज नही तो दो दिन बाद ।। 2।।

रूपो की यह सुंदर छाया
स्वप्नो में अनुमोदन
स्नेहो में संकेतो में
नयनो से सम्बोधन
घटते घटते
मिट जायेगी
रह जायेगी धुँधली याद ।।
आज नही तो दो दिन बाद ।।3।।

उठती ये खुशियो की लहरे
घटते दुःख के बादल
लाभ हानि की सारी चिंता
कर देती जो पागल
भले आज तुम
कोशिस कर लो
पर गिरनी है तुम पर गाज ।।
आज नही तो दो दिन बाद ।।4।।

सभी रास्ते इस जीवन के
सिर्फ दुखो के जाल
क्यों डरते हो डरना किससे
फसना है हरहाल
फ़सा हुआ है
नश्वरता में
होना तो होगा आजाद ।।
आज नही तो दो दिन बाद ।।5।।

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