बुधवार, 22 अप्रैल 2015

कभी कभी ( प्रभु सुमिरन )

      कब से खड़े तेरे इन्तजार में
      प्रभु हमको भी एक झलक दिखाल जाओ कभी !
      कहाँ छुपे हो मेरे गिरधर नन्द लाल
      मेरे घर आँगन भी बांसुरी बजाया करो कभी कभी !!

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      बड़ा असर तेरी रहमत में
      तू चाहे तो मुर्दो में जान डाल दे !
      मुर्दा दिल बहुत मेरे शहर में
      वक्त निकाल घूम जाया करो कभी कभी !!

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      प्रभु तुम ठहरे प्रेम का सागर
      ये संसार मायाजाल से भरे मैल का दरिया !
      नफरत कि इस दुनिया में
      प्रेम रस की धारा बरसा जाय करो कभी कभी !!

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      बैचैन बहुत हर पल हर क्षण
      भोग विलासिता में खोजे आनदं के दो पल !
      क्यों भटकता मंदिर मस्जिद
      अपने मन को भी खंगाल लिया कर कभी कभी !!

      *** *** *** *** *** *** ***

      कब से खड़े तेरे इन्तजार में
      प्रभु हमको भी एक झलक दिखाल जाओ कभी !
      कहाँ छुपे हो मेरे गिरधर नन्द लाल
      मेरे घर आँगन भी बांसुरी बजाया करो कभी कभी !!

      *** *** *** *** *** *** ***

      डी. के निवातियाँ __________@@@

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