गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

गुलामी में जीता हूँ

      आजाद देश का आजाद सिपाही
      पर आज भी गुलामी में जीता हूँ
      सोने की चिड़िया जिसको कहते
      मै उस देश में भूखा मरता हूँ !!

      गांधी, सुभाष, आजाद, भगत
      सभी ने मुझेको ये सिखलाया
      देश की आन है जान से प्यारी
      इसकी रक्षा करना धर्म बतलाया
      कही जाया न हो उनकी कुर्बानी
      ये सोचकर चुप सब सहता हूँ !!

      आजाद देश का…………………….भूखा मरता हूँ !!

      मेरे देश के नाम का सिक्का
      सारी दुनिया में चलता है
      पर यंहा का बच्चा आज भी
      नंगे तन सड़को पे फिरता है
      देख के अपने देश के हालत
      हर पल संकोच में रहता हूँ

      आजाद देश का…………………….भूखा मरता हूँ !!

      क्या पूछोगे ठाठ अमीरो के
      जिनका कुत्ता भी गददो पे सोता है
      देखो हालत मजदूर किसान की
      आज भी टूटी मड़ैया में सोता है
      शायद अब बदलेगी ये तस्वीर
      निश दिन इस आशा में रहता हूँ !!

      आजाद देश का…………………….भूखा मरता हूँ !!

      सुनलो तुम ऐ खादीधारियों
      अब और न ग़दर मचाओ
      बहुत हुआ ये आतंक का खेल
      न तुम अब हमको आजमाओ
      जाग उठा अब सिपाही तुमको ये कहता हूँ

      आजाद देश का आजाद सिपाही
      पर आज भी गुलामी में जीता हूँ
      सोने की चिड़िया जिसको कहते
      मै उस देश में भूखा मरता हूँ !!
      !
      !
      !

      डी. के. निवातियाँ ______@@@

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