सोमवार, 20 अप्रैल 2015

तीन हाइकु

ब्यस्त जीवन
नहाते है कर्मों से
ख़ुशी-खुसी से |१|

सब देखते
संभालते वक्तपे
नहीं रूकते |२|

मकसद है
कैसे मुख फेरते
भविष्य पर |३|
०४/२०/२०१५

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