बुधवार, 29 अप्रैल 2015

तू

गुलशन है तू गुलबाग है तू, रंगीन भी है बेदाग है तू।
मैँ दिनरात सुबहो शां करता जो, वो सजदा तू आदाब है तू॥
चंद ख्वाब जो मैँने देखे थे, उन ख्वाबोँ का तू हर हिस्सा।॥

मेरे पास है तू मेरे दूर भी तू, मेरे दिल मेँ बहुत मशहूर भी तू।
अ हूर तेरी मगरुरी पर चूर-चूर हूँ मैँ, हर नूर है तू॥
गालिब की गज़ल बीरबल की चपल, मेरी हर मंजिल का तू रस्ता।॥

बड़ी ख़ास भी तू और आम भी तू, लब से निकला हर नाम भी तू।
आगाज़ भी तू अंजाम भी तू, तू ही बेनकल बेशाम भी तू॥
मेहनत भी तू मेरा काम भी तू, मेरी सरज़मीँ का तू हर बिस्सा।॥

इब्तदा है तू इल्तजा है तू, मेरे जीवन की इंतहा है तू।
इल्जाम भी तू और सज़ा भी तू, मेरे खातिर अब खुदा है तू॥
चाहकर मुझसे नहीँ उतरता जो, मेरे हमदम तू है वो नशा।॥

मेरा दिल भी तू धड़कन भी तू, अंग-अंग की मेरे अंगड़न भी तू।
कलम है मेरी मेरा वचन भी तू, मेरी बढ़ती हुई तड़पन भी तू॥
मेरी नस-नस मेँ जो बहते हैँ, वो लहू भी तू तू ही वो हवा।॥

नीँद भी तू मेरा चैन भी तू, है दिन भी तू और रैन भी तू।
जिनको बुना था कभी मैँने, वो ख्वाब भी तू और नैन भी तू॥
बेचैन बहुत हूँ बिन तेरे, मेरी बेचैनी को न और बढ़ा।॥

यादेँ भी तू मेरी भूल भी तू, घायल जिससे वो त्रिशूल भी तू।
तेरी चाहत मेँ मशगूल हूँ , मेरी जड़ भी तू मेरा मूल भी तू॥
जिँदा हूँ मैँ जिस हालत मेँ, मेरी उस हालत का तू किस्सा।॥

शाशन भी तू सरकार भी तू, है नैया तू पतवार भी तू।
मेरा यार भी तू दिलदार भी तू, हूँ कैदी मैँ थानेदार है तू॥
मझदार मेँ मेरी हस्ती को, अ जानम तू अब पार लगा।॥

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