बुधवार, 29 अप्रैल 2015

सनम

चाँद मेँ दाग है लेकिन बड़े बेदाग सनम हैँ।
मेरे लिखे हर पन्ने की किताब सनम हैँ॥
देखूँ मैँ दिन-रात जो वो ख्वाब सनम हैँ।
मेरे लिए हीरे से भी नायाब सनम हैँ॥
मेरी जिँदगी, मेरा भूत, कल और आज सनम हैँ।
जमीँ पर उतर आए जो खुदा वो जनाब सनम हैँ॥
गुलशन देखे थे बहुत पर बड़े गुलबाग सनम हैँ।
लुटना ना मेरी तरह उनसे बड़े उस्ताद सनम हैँ॥
मेरा मुल्क मेरी मल्कियत मेरा तख्तोताज सनम हैँ।
मेरे लबोँ से निकलती हर आवाज सनम हैँ॥
नई दुल्हन के खुले घूँघट की लाज सनम हैँ।
वो मेरे हैँ बस मेरे वो मेरे हमराज सनम हैँ॥
मेहबूब के बारे मेँ जितना मैँ कहूँ उतना कम है।
खूबी भरी हैँ इतनी कि बड़े बेहिसाब सनम हैँ॥
जिस चीज पर मुझे अहं है वो नाज सनम हैँ।
अ दुनियावालोँ मैँ कैसे कहदूँ कि कितने लाजवाब सनम हैँ॥

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