नानी वाली कथा-कहानी.
  …आनन्द विश्वास
नानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुई पुरानी।
  बेटी-युग के नए दौर की, आओ लिख लें नई कहानी।
  बेटी-युग    में    बेटा-बेटी,
  सभी   पढ़ेंगे, सभी  बढ़ेंगे।
  फौलादी   ले   नेक  इरादे,
  खुद अपना इतिहास गढ़ेंगे।
  देश  पढ़ेगा, देश  बढ़ेगा, दौड़ेगी अब, तरुण जवानी।
  नानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुईं पुरानी।
  बेटा  शिक्षित, आधी शिक्षा,
  दोनों  शिक्षित पूरी  शिक्षा।
  हमने सोचा,मनन करो तुम,
  सोचो समझो करो समीक्षा।
  सारा जग शिक्षामय करना,हमने सोचा मन में ठानी।
  नानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुईं पुरानी।
  अब कोई ना अनपढ़ होगा,
  सबके  हाथों पुस्तक होगी।
  ज्ञान-गंग  की पावन धारा,
  सबके आँगन तक पहुँचेगी।
  पुस्तक और कलम की शक्ति,जग जाहिर जानी पहचानी।
  नानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुईं पुरानी।
  बेटी-युग   सम्मान-पर्व  है,
  ज्ञान-पर्व  है,  दान-पर्व है।
  सब सबका सम्मान करे तो,
  जीवन  का  उत्थान-पर्व है।
  सोने की चिड़िया बोली है, बेटी-युग की हवा सुहानी।
  नानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुई पुरानी।
  बेटी-युग के नए दौर की, आओ लिख लें नई कहानी।
  …आनन्द विश्वास

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