सोमवार, 27 अप्रैल 2015

मेरा जहाँ

मेरा घर ….
जिसकी दीवारें
बाहें पसारें
रहती हैं प्रतीक्षारत
किसी आगंतुक के लिए
जब भी कोई
देता है दस्तक
दरवाजे पर
मेरा घर
मुस्कुराकर
ले लेता है
उसे ..अपने आगोश में
इसीलिये
मेरे अपने
प्यार की गठरी बांधे
आते रहते हैं
अक्सर यहाँ
उनके कहकशों के बीच
आबाद है
मेरा जहाँ …

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