खुशी की लकीरे
  चेहरे पर फैल गई
  होंठो के पीछे छिपे दांत चमक उठे
  उसे लगा बरसो पहेले लगे चोट से दर्द मिट गया हो
वो लम्बी गहरी साँस लिए हँसे जा रहा था
  ऐसी ख़ुशी के लिया तरसा था वो
आज किसी पुराने दोस्त का सब कुछ खो गया था
  दोनों गरीबी,अभाव में साथ रहे
  एक की मेहनत ने उसे रोटी,इज्ज़त,घर दिया
  दूसरा अपनी गरीबी को कोसता,
  तंगी से जूझता रहा उम्र भर
एक की सम्पनता और दुसरे के गरीबी
  साथ में रहा न सकी
  गहरी खाई पट गई दोस्तों में
आज गरीब दोस्त खुश था की
  आमिर दोस्त फिर से उसके जैसा हो गया
  वो सारी जिंदगी दुखी रहा
  अपने दोस्त की खुशी से
आज का समाज ऐसे ही खुश है
  अपनी सफलता से नहीं
  किसी के हार पर खिलती चेहरे पर हँसी है
  कैसी खोखली खुशी है?

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