शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

मुस्कुराती

आई एक छोटी सी बच्ची,
मुस्कुराती हुई, इठलाती हुई,
कपडे थे उसके गंदे,
नाक बह रही थी,
फिर भी उसकी मुस्कुराहट में,
यह सब बातें छुप रही थी,
माँगा उसने कुछ खाने को,
मैंने निकाले कुछ पैसे,
बढाया अपना हाथ,
बोली वो, नहीं चाहिए पैसे,
बाबा ले लेंगे पैसे,
देना है तो कुछ खाने को दे दो,
बिस्कुट या चॉकलेट,
माँ बाबा नहीं खिलाते वो,
देखती हूँ सब बच्चों को खाते,
मन मेरा भी करता है,
मांगों माँ बाबा से तो थप्पड ही पड़ता है,
सुन के उसकी यह बात आँख मेरी भर आई,
ले गई उसको और उसको उसकी पसंद की चीज़ दिलवाई|

भारती शिवानी

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