शीर्षक -कोकिला
कोकिला सुनाओ मधुर सा गान ,
  छेड़ो कोई राग , कोई मीठी सी तान ,
  भोर सुहानी संगीत से भर रही ,
  बसंती बयार लू बन रही ,
  आम के फल रसीले हुए ,
  सुनकर तुम्हारी सुरीली तान ,
  कोकिला सुनाओ मधुर सा गान .
  चंपा ,चमेली फूलों से भर गए ,
  मोगरा मतवाला महमहा उठा ,
  सूरजमुखी सर उठाने लगे ,
  देखने वनउपवन की शान ,
  कोकिला सुनाओ मधुर सा गान .
  पंछी जगत के प्यारे ,अलबेले ,
  शुक नखरीले…मोर छबीले ,
  पर कूज तुम्हारी अद्भुत है सखी ,
  तुम सचमुच धरती की आन .
  कोकिला सुनाओ मधुर सा गान .
– डॉ दीपिका शर्मा
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