सोमवार, 23 नवंबर 2015

हम जिस देश में रहते है

हम जिस देश में रहते है
उसे धरती का स्वर्ग कहते है
गौरव की बात हमारे लिए
जो हम इस देश में रहते है !!

प्रकृति की अनमोल धरोहर यहां
हर मौसम का आना जाना है
नदिया, झरने, सागर, पर्वत,
पेड़ पौधो का रूप निराला है
फसलो से सजे खेत खलिहान
यंहा हर मौसम में लहलाते रहते है !!

हम जिस ……………देश में रहते है !!

राधा – कृष्ण, सीता – राम,
जीसस नानक, रहीम का नाम
महावीर और बुद्ध के काम
सबको करते हम प्रणाम
ऋषियों मुनियो की जननी
जिसे देव धरा भी कहते है !!

हम जिस …………….देश में रहते है !!

गर्मी, सर्दी, होती कभी बरसात
पतझड़ जाए, आये बसंत बहार
हर एक मौसम में आती यंहा
जीवन में नव योवन की बहार
दुनिया तरसती जिस नज़ारे को
उसके खजाने यंहा पर बहते है !!

हम जिस,……………… देश में रहते है !!

होली, दिवाली, राखी का त्यौहार
रमज़ान के बाद ईद का आना
कभी क्रिश्मस की होती रौनक
फिर लोहरी संग बैसाखी का आना
दुर्गा,गणेश, पोंगल, छठ पूजा जैसे
पर्वो से हम आनंदित रहते है !!

हम जिस ……………….देश में रहते है !!

अलग अलग जहाँ सबकी भाषा
अलग अलग सबका खाना पीना है
अलग अलग यंहा वेषभूषाये सबकी
अलग अलग धर्मो में सीखा जीना है
इतनी असमानताओं के मध्य भी हम
सब मिलजुलकर आपस में रहते है !!

हम जिस ……………….देश में रहते है !!

सोना चांदी, हीरे मोती की खाने
खनिजों के लगे भण्डार यहां
जड़ी बूटियों से सजी ये माटी
प्राकृतिक सम्पदा अपार जहां
कन्द मूल और फल फूलो से भरे
यहां हाथ धरती माँ के रहते है !!

हम जिस ………………..देश में रहते है !!

तभी तो सोने की चिड़िया कहते है
दुनिया में अपनी पहचान है इसकी
ज्ञान और विज्ञान में रहा प्रथम सदैव
प्रेम, त्याग, समर्पण संस्कृति जिसकी
शीश झुकाना हो या शीश कटाना हो
हर हाल दुश्मनो की हस्ती मिटाते रहते है !!

हम जिस देश में रहते है
उसे धरती का स्वर्ग कहते है
गौरव की बात हमारे लिए
जो हम इस देश में रहते है !!

!
!
!
—–::०:: डी. के. निवातियाँ ::०::——

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here हम जिस देश में रहते है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें